(Article) केन बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना नहीं.. बुन्देलखण्ड की खामोश मौत !
केन बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना नहीं.. बुन्देलखण्ड की खामोश मौत !
- जल, जमीन, जंगल एवं जैव विविधता पर खतरा
- पारम्परिक कृषि दुष्प्रभाव
- बांधों व नहर निर्माण के कारण सैकड़ों गांवो का विस्थापन
- मछुवारों व तालाबों पर विपरीत प्रभाव
- अन्तर्राज्जीय विवाद (यू0पी0-म0प्र0 सीमांकन)
- हजारों वर्ग किलोमीटर की उपजाऊ भूमि, वन्य जीव जन्तु एवं पन्ना नेशनल टाईगर पार्क भूमि अधिग्रहण के दायरे में।
आज सारा विश्व एक कुनबे के रूप में आम जन मंच पर खड़े होकर अपने अपने देश, प्रदेश की वसुन्धरा को बचाने की गुहार करने की मुहिम में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहा है वहीं वीभत्स अकाल यात्रा के कारण पिछले छः वर्षों से अकाल की मांद में पिसता चला आ रहा बुन्देलखण्ड अपनी उसी पुरानी टीस के साथ आज विष्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर केन बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना के विरोध में सामूहिक रूप से सड़कों पर अपनी ही अस्मिता की जन सुनवाई लेकर केन्द्र और राज्य सरकारों के सामने विरोध में आ खड़ा हुआ है।
चित्रकूट धाम मण्डल जनपद बांदा में आज प्रातः जब सारा विश्व, विश्व पर्यावरण दिवस पर अपनी-अपनी औपचारिकताऎं महज निभाकर जलवायु परिवर्तन से टूट चुकी धरती के प्रति संवेदना व्यक्त करने का प्रयत्न कर रहा था उसी समय बदहाली से दशकों पीछे पहुंच चुका बुन्देलखण्ड जल संकट को आम जन मुद्दा बनाते हुए केन बेतवा नदी गठजोड़ के खिलाफ एक सामूहिक हस्ताक्षर अभियान एवं हजारों जन संदेश लिखित पोस्टकार्डों जो कि मा0 प्रधानमंत्री डां0 मनमोहन सिंह को संबोधित हैं में अपनी क्षेत्र की परिस्थितियों एवं व्यवहारिक परिणीतियों को व्यक्त कर प्रेषित करने की जुगत में 52 डिग्री दहकते तापमान के बीच भूख और प्यास को झेलते हुए बूढ़े, बच्चे, महिलायें और खासकर गरीब किसान के साथ सैकड़ो अधिवक्ता कचेहरी कैम्पस, महेश्वरी देवी चैराहा, न्यू मार्केट, रोडवेज बस स्टैण्ड में पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए इस सामूहिक जन आन्दोलन में अपनी उपस्थिति के साथ दर्ज होने की अपील कर रहा था।
इस आन्दोलन में प्रवास सोसाइटी के नेतृत्व में अन्य समाज सेवी संगठन जिनमें प्रमुख रूप से बुन्देलखण्ड भविष्य परिषद, मानवोदय सेवा संस्थान, बामसेफ कार्यकर्ता रामफल चैधरी, डा0 शैलेष कुमार रंजन, मन्दाकिनी बचाव की संयोजक अर्चना मिश्रा, जनषक्ति महिला संगठन एवं आषीष सागर ने उन तमाम खामियों की मुखालफत करते हुए इस प्रस्तावित परियोजना में खर्च होने वाली 7615 करोड़ की भारी भरकम राशि एवं योजना की नीति की पुर्नसमीक्षा करते हुए इसे बुन्देलखण्ड में गहराते हुए जलसंकट, जल, जमीन जंगल तीनों ही दृष्टि में इसको प्रतिकूल बताते हुए प्रधानमंत्री महोदय से केन बेतवा नदी गठजोड़ को मृत किये जाने की मांग करते हुए "प्लीज काल मी" कार्यक्रम के तहत सैकड़ों फोन काल्स एवं फैक्स व ज्ञापन केन्द्र सरकार को भेजे हैं और सामूहिक रूप से यह निर्णय लिया कि इस परियोजना के निर्णायक परिणाम तक प्रत्येक माह की 5 तारीख को यह आन्दोलन बुन्देलखण्ड के प्रति जनपद वार तहसीलों और गांवों में चलाया जायेगा।
‘‘नदियों को कल-कल बहने दो। लोगों को जिन्दा रहने दो।।’’
आषीष सागर, प्रवास, बुन्देलखण्ड
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