(Blog) बुन्देलखंड "पीपली लाइव" | Bundelkhand Peepli Live

बुन्देलखंड "पीपली लाइव"

बुन्देलखंडी किसान"पीपली लाइव"के नायक नत्था धनिया,बुधिया माँ-बच्चे के साथ कोमंवेल्थ में दिल्ली और देश की लाज वचाने में लगे!

आप को लगे की हमारे किसान खेतो में ही पसीना वहाया करते है देश की आन की बात हो ते किसान अपनी लाज देकार भी देश और समाज को वचाते है इन दिनों कोमंवेल्थ खेलो में सभी और से निरास दिल्ली सरकार और भारत सरकार को उन बुन्देलखंड"पीपली लाइव"के नायक नत्था धनिया,बुधिया और  माँ-बच्चो से ही अपेक्षाए है,जो किसान वर्षो से सूखे से प्रभावित है । इसके चलते बुन्देलखंडी किसान  या   पीपली लाइव"के नायक  भारी मात्र में पलायन तथा भुखमरी के साथ-साथ किसानों द्वारा आत्म हत्याओं की ख़बरें देश दुनिया तक जाते -जाते अब  दिल्ली की सड़को पर मजदूरी करते नजर आते है वे किसान जो कभी औरो के हाथो को काम और रोजी देते थे आज दिल्ली में दरवादर भटक रहे है किसान चुकी पहले से मजदुर नहीं है सो ठेकेदार लेकर केंद्र तथा राज्य सरकारों के मगरमचछ बुन्देलखंडी किसान  रूपी नत्था,धनिया,बुधिया और माँ -बच्चो  को अब मजदूर के रूप में खाए  जात है


उल्लेखनीय है कि पिछले पॉँच वर्षों के दौरान बुन्देलखण्ड में लाखों किसान सूखे से प्रभावित हुए थे। इसके चलते यहाँ से भारी पलायन तथा भुखमरी के साथ साथ किसानों द्वारा आत्म हत्याओं की ख़बरें देश दुनिया में छई हुई है सो आमिर खान ने "पीपली लाइव" फिल्म बना डाली। किन्तु फिल्म में बुन्देलखंड के किसानों के हालातों का प्रस्तुतीकरण केवल पैसा कमाने के लिए नहीं होना चाहिए अगर आमिर खान  स्वयं को समाज सेवी और राष्ट्र भक्त समझते है  तों आमिर खान को चहिये की स्वयं आगे आ के बुंदेलखंड के किसानो के लिए एक विकास निधी कोष वनाये और फ़िल्म शो के दोरान लोगो से अपील करे कि "सूखा प्रभावित किसान विकास निधी कोष " के लिए दान और सहयोग के लिए प्रेरित करे आमिर खान कि और से किसान रूपी नत्था,धनिया,बुधिया और माँ -बच्चो के देश के साथ दुनिया के लिए प्रेरणा होगी

"आमिर खान की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म "पीपली लाइव" बुन्देलखंड के किसानो को लेकर बनी है।


बुंदेलखंड और बुन्देली संस्कृति तथा रहन सहन के साथ साथ पूरी तरह बुन्देली बोली ही प्रयुक्त की गयी है । उदाहारण के लिए नत्था की पत्नी धनिया अपने जेठ बुधिया से पूछती है " काये कछू भओ का आज ?" तो उत्तर में बुधिया कहता है कि " पईसा तौ मिले नैयाँ " । कहने का तात्पर्य पात्रों के बीच बातचीत में ठेठ बुन्देली ही प्रयुक्त की गयी है। इतना ही नहीं बुंदेलखंड को लेकर केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच जो वाकयुद्ध पिछले कुछ वर्षों से चल रहा है उसको भी इस फिल्म में भी पूरी तरह समाहित किया गया है ।



"महगाई मारें जात है " नामक चर्चित गाना बुन्देली साज-बाज के साथ गाया गया एक बुन्देली लोक गीत है । उल्लेखनीय है कि पिछले पॉँच वर्षों के दौरान बुन्देलखण्ड में लाखों किसान सूखे से प्रभावित हुए थे। इसके चलते यहाँ से भारी पलायन तथा भुखमरी के साथ साथ किसानों द्वारा आत्म हत्याओं की ख़बरें देश दुनिया तक पहुंची थी । इसी विषय को लेकर आमिर खान ने "पीपली लाइव" फिल्म बना डाली।

 

Comments

विदर्भ की पंद्रह हजार महिलाएं 15 अगस्त को नागपुर से 150 किलोमीटर दूर यवतमाल जिले में पीपली लाइव के पोस्टर जलाकर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगी। किसानों की आत्महत्या के लिए चर्चित महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में आमिर खान की पीपली लाइव के रिलीज होने के साथ ही पुरे महाराष्ट्र में प्रतिबंध लगाने की मांग होने लगी है.विदर्भ जनांदोलन समिति ने इस संबंध में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और आमिर खान को भी एक पत्र लिखा है। समिति का कहना है कि फिल्म में आत्महत्या का कारण मुआवजे के लालच को बताया गया है,जबकि यह गलत है। इस फिल्म के कारण क्षेत्र के अस्सी लाख किसान इससे काफी दुखी हैं। कोई भी किसान पैसों को लिए मौत का रास्ता नहीं चुनता है। किसाना सरकार की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या कर रहा है लेकिन इस पूरी फिल्म में किसानों का मजाक बना दिया है। समिति ने कहा है कि सरकार अगर इस फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगाती है तो किसानों का संगठन फिल्म के खिलाफ सेंसर बोर्ड और हाईकोर्ट जायेगा. विदर्भ जनांदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने बातचीत में कहा कि इस फिल्म की वजह से आंदोलन देश-विदेश में बदनाम हो रहा है। महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में पिछले एक दशक में दो लाख किसानों ने आत्महत्या की है। लेकिन 1.60लाख विधवाओं को आज तक अपने पति के मौत का मुआवजा नहीं मिला है।