History of Bundelkhand Ponds And Water Management - बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास : हमीरपुर जिले के तालाब (Ponds of Hamirpur)

History of Bundelkhand Ponds And Water Management - बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास

हमीरपुर जिले के तालाब (Ponds of Hamirpur)

हमीरपुर जिले की मिट्टी काली, काबर, दुमट, हड़कावर एवं पडुआई है, जिसमें जल धारण क्षमता अधिक है, जिस कारण बिना सिंचाई किए भी ‘नगरवार’ गेहूँ (कठिया), चना, मसूर, अल्सी एवं सरसों पैदा किए जाते रहे हैं। इस जिले की भूमि समतल मैदानी है। पहाड़-पहाड़ियाँ अधिक नहीं है। यमुना, बेतवा जैसी जल भरी नदियों के होने से भूमि में नमी बनी रहती है। एक प्रकार से यह यमुना, धसान एवं बेतवा नदियों का कछारीय जिला है, जिस कारण जल का अभाव यहाँ कभी नहीं रहा। तालाब निस्तारी ही हैं, जिनका विवरण निम्नांकित है-

1. मौदहा के तालाब(Ponds of Maudaha)- मौदहा, हमीरपुर जिले का बड़ा कस्बा है। यहाँ 5 तालाब हैं। एक मीरा तालाब कहा जाता है, जिसका बाँध बड़ा सुन्दर है। इस पर कंस का मेला लगता है। बाँध पर अनेक उपासना स्थल बने हुए हैं। दूसरा तालाब इलाही तालाब कहा जाता है, जिसका बाँध भी लम्बा है। इसके बाँध पर सैयद सालार की याद में मेला भरता है। बाँध पर ही सैयद सालार की मजार है। इसके अतिरिक्त 3 छोटे तालाब हैं।

2. राठ के तालाब(Ponds of Rath)- राठ हमीरपुर जिले का प्राचीन नगर है जिसे महाभारत काल की विराट नगरी माना जाता है। विराट नगर को ही कालान्तर में राठ कहा जाने लगा था। ऐसी भी धारणा है कि राठ राठौर-वंशीय क्षत्रियों का ठिकाना था, जिसे 1210 ई. अर्थात तेरहवीं सदी के प्रारम्भ में बसाया हुआ कहा जाता है। बाद में यह शरफराउद्दीन के अधिकार में रहा, जिस कारण इसे शराफाबाद भी कहा जाने लगा था। परन्तु यह नाम लोकप्रिय न हो सका जिस कारण प्राचीन नाम राठ ही प्रचलित रहा। राठ में 7 तालाब हैं-

(1) सागर तालाब(Sagar Pond)- राठ नगर का यह सबसे बड़ा एवं सुन्दर तालाब है जिसके घाट बड़े सुन्दर हैं। बाँध पर अनेक उपासना स्थल हैं। राठ हिन्दु-मुस्लिम गंगा जमुनी संस्कृति के मेल के लिए प्रसिद्ध रहा है।

(2) दीपा तालाब(Deepa Pond)- यह गहरा एवं बड़ा तालाब है, जो निस्तारी तालाब है। राठ नगर के अन्य तालाबों में (3) कम्बू तालाब, (4) चौपरा तालाब, (5) घासी तालाब, (6) देव तालाब एवं (7) धुपकाली तालाब है। 

हमीरपुर जिले की भूमि समतल है जिस कारण यहाँ कृषि की सिंचाई नहरों से की जाती है। सन 1912 में धसान नदी के बाँध से नहर निकालकर यहाँ की कृषि भूमि को सिंचाई के लिये पानी पहुँचाया गया था। इस नहर की लम्बाई 632 किलोमीटर है। सन 1916 ई. में जिले में लगभग 215 बँधियां पानी रोकने (खेत का पानी खेत में) के उद्देश्य से डलवाई गई थीं जो वर्षा ऋतु में तालाबों का स्वरूप ले लेती हैं। सन 1975 में बेतवा पर पारीछा बाँध की नहर निकाली गई थी, जो लगभग 60 किलोमीटर लम्बी है। इससे जिले की अधिकांश कृषि भूमि  की सिंचाई की जाती है।

हमीरपुर जिले में अनेक पम्प कैनालें हैं जिनमें शाहजना पम्प कैनाल, शोहरापुर पम्प कैनाल, पटपरा पम्प कैनाल, सिरौली बुजुर्ग पम्प कैनाल हैं, जो लगभग दस हजार हेक्टेयर भूमि के लिये सिंचाई जल देते हैं। पानी की सुचारू व्यवस्था से जिला धन-धान्य सम्पन्न, आत्मनिर्भर है।

 

Courtesy:  डॉ. काशीप्रसाद त्रिपाठी

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