History of Bundelkhand Ponds And Water Management - बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास : झांसी नगर के तालाब (Ponds of Jhansi)

History of Bundelkhand Ponds And Water Management - बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास

झांसी नगर के तालाब (Ponds of Jhansi)

झाँसी जिले के मऊ, मौंठ एवं गरौठा तहसीलों अर्थात उत्तरी भूभाग समतल, काली कछारी एवं उपजाऊ है परन्तु जिला के बरुआ सागर, कटेरा और ककर, कचनये जैसे दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्र में टौरियाँ, पहाड़ियाँ अधिक हैं, जिस कारण भूमि असमान ढालू, ऊँची-नीची है। टौरियों, पहाड़ियों के मध्य की नीची पटारों, खंदियों, घाटों वाली भूमि से बरसाती धरातलीय पानी नालियाँ-नालों में से बहता हुआ क्षेत्र से बाहर चला जाता था। इस भूभाग की भूमि ककरीली-पथरीली है, ऊबड़-खाबड़ भी है जिस कारण पानी का अभाव सदैव बना रहा है। इस कारण धरातलीय बरसाती जल संग्रहण के लिये जिले के इस दक्षिणी पूर्वी भाग में तालाब अधिक बनाए गए थे जिनमें प्रसिद्ध प्रमुख तालाब निम्नांकित हैं-

उदोत सागर तालाब (Udot sagar Pond) :

झाँसी मऊरानीपुर बस मार्ग पर कस्बा बरुआ सागर के पूर्वोत्तर भाग में दो पहाड़ियों के मध्य से प्रवाहित बरुआ नाले को रोककर ओरछा के महाराज उदोत सिंह (1689-1736 ई.) ने अपने नाम पर विशाल सरोवर बनवाया था जो 25.10 उत्तरी अक्षांश एवं 78.53 पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। बरुआ नाला बिरौरा पहाड़ के पास से निकलकर बड़े भूक्षेत्र का धरातलीय जल संग्रहीत करता हुआ इस तालाब में विलय हो जाता है। बरुआ नाले के नाम पर सरोवर का नाम भी बरुआ सागर कहा जाने लगा था तथा पहाड़ी के पश्चिमी पार्श्व में बसी बस्ती भी बरुआ सागर कही जाने लगी थी।

उदोत सागर (बरुआ सागर तालाब) का प्राकृतिक सौन्दर्य बड़ा रमणीक है। पहाड़ी पर छोटा-सा किला है जो महाराज उदोत सिंह ने ही बनवाया था। सरोवर का बाँध पत्थर की पैरियों से बना हुआ है जिसमें सुन्दर सीढ़ी घाट बने हैं। बाँध के उत्तरी-पूर्वी पार्श्व में बड़ा उबेला (पाँखी) बनी है जिसमें से भराव से अधिक पानी बाहर निकलता जाता है। पानी निकलने का दृश्य बड़ा आकर्षक एवं दर्शनीय है। उबेला के पास ही घुंघुवा मन्दिर समूह है, स्वर्गाश्रम है। बाँध के पीछे उत्तरी-पश्चिमी दिशा में प्रसिद्ध कम्पनी बाग राजकीय उद्यान है। उदोत सागर सरोवर से निकाली नहरों से दूर-दूर तक कृषि सिंचाई होती है। बरुआ सागर कस्बा अदरक, धनियाँ, जीरा, मिर्च मसालों एवं तरकारियों-सब्जियों की बड़ी है। जहाँ से सब्जियों एवं मसालों का दूर-दूर तक निर्यात होता है। पानी की उपलब्धता से बरुआ सागर क्षेत्र कृषि क्षेत्र में काफी विकसित एवं सम्पन्न रहा है। सन 1741-43 में बरुआ सागर को मराठों ने अपने अधिकार में ले लिया था। 1857-59 ई. में जब अंग्रेजों ने गैर क्षेत्रीय मराठा मामलतदारी समाप्त कर लक्ष्मीबाई को झाँसी से खदेड़ दिया तो झाँसी मामलतदारी सहित बरुआ सागर भी अंग्रेजी राज्य का भूभाग बना लिया था। बरुआ सागर देशी-विदेशी पर्यटकों के लिये अच्छा दर्शनीय पर्यटन स्थल है।

सुजान सागर तालाब (Sujan sagar Pond) :

अड़जार- सुजान सागर तालाब बड़ा तालाब है। इसे ओरछा नरेश महाराजा सुजान सिंह (1753-72 ई.) ने निवाड़ी स्टेशन के पूर्वी पार्श्व के ग्राम अड़जार (25.18 उत्तरी अक्षांश एवं 78.53 पूर्वी देशान्तर पर) में दो पहाड़ियों के मध्य की पटार में विशाल बाँध में बनवाकर बनवाया था। यह एक विशाल झील-सा है जिसे अड़जार ग्राम में होने के कारण अड़जार तालाब भी कहा जाता है। यह सरोवर मुगल सम्राट औरंगजेब के समकाल बनाया गया था।

सुजान सागर तालाब के बाँध में एक शिलालेख लगा हुआ है। जिसमें उल्लेख है- “जम्बूद्वीप मही ललाम नगरी दिल्ली तदीये शितुर्वीर श्री अवरंगशाह नृपते सामन्त चूड़ामणि श्रीमद भूपति बीर सिंह तनयः श्री मत्पहारेश्वरो प्रोद्भूतो सुनु सुजान सिंह नृपति विश्वंभरा शक्तिभि।”

“लग्ने सोच्य युते सुशोभ्य सहते बारेतु माघे शिते पंचभ्यां बसु नेत्र सागर निशांना धारन्य संवतसरे सद्धर्भ द्रूम शेच नाभि जगतां जीया तवै सर्वदा तेताकारं सुजान सिंह नृपति ख्यातस्तड़ागो महान।”

बाँध के बीछे कई मील लम्बा-चौड़ा विविध फलों-फूलों के पेड़ों-पौधों से भरपूर मनोहारी बगीचा बनवाया गया था, जिसके चारों ओर चूना पत्थर का पक्का परकोटा आज भी दृष्टव्य है। इस बगीचे का भी एक शिलालेख तालाब निर्माण वाले शिलालेख से संलग्न स्थापित है जिसमें बगीचे के विषय में निम्न पंक्तियाँ उल्लिखित हैं-

हीरा दे रानी उदर, उपजे सिंह सुजान।
तिनकी गृ हरानी भईं, बृज कुमार शुभ ज्ञान।।
तीरथ व्रत कीनें सबै बृजरानी धर ध्यान।
जस प्रकटयो नभखण्ड में, भक्तदान सम्मान।।
नंदनवन अमरावती, बाग लगे तह पास।
शरद फूल फल सारिका, सज्जन करत विलास।।

सुजान सागर तालाब का उबेला (पाखी) निवाड़ी रेलवे स्टेशन के पीछे पश्चिम दिशा की ओर है जिसमें से भराव से अतिरिक्त जल बाहर निकलता रहता है। इस तालाब से सिंचाई के लिये दूर-दूर तक नहरें निकाली गई हैं।

विजय सागर (Vijay sagar) :

 भसनेह तहसील गरौठा जिला झाँसी अन्तर्गत मऊ-गुरसराय बस मार्ग पर स्थित है। भसनेह ओरछा राज्य के राजा रूद्रप्रताप के पुत्र का जागीरी ग्राम था।

भसनेह का तालाब भसनेह के जागीरदार विजयसिंह बुन्देला ने सन 1618 ई. में अपने नाम पर बनवाया था जिसे विजय सागर नाम दिया गया था जो पतराई नदी के बहाव को रोक कर बनाया गया था। यह तालाब 12 किलोमीटर के भराव क्षेत्र का है। इस तालाब के तोड़ी फतेहपुर एवं गुरसहाय परिक्षेत्र के किसान उखारा बूढ़ा भूमि में खेती करने के लिये अक्सर लड़ते रहते थे। लट्ठमार लड़ाई तालाब की भूमि जोतने पर होने से लोग इसे लठवारा तालाब भी कहने लगे। विजय सागर तालाब के बाँध के पास बुड़वार ग्राम है जिस कारण लोग इसे बुड़वार झील भी कहा करते हैं। इस विशाल तालाब से कृषि सिंचाई के लिये दूर-दूर तक नहरें निकली हुई हैं।

विजयपुर तालाब (Vijaypur Pond) :

यह तालाब मऊ रानीपुर से 25 किमी. उत्तर पश्चिम दिशा में है। यहाँ विजय शक्ति चन्देल राजा का बनवाया हुआ बड़ा सुन्दर तालाब है। इसका बाँध तेलिया पत्थर की बड़ी-बड़ी पैरियों से बना हुआ है। इसी के समीप सुन्दर चन्देली शिवमठ है।

कुरैंचा बाँध (Kuraincha Dam) :

कुरैंचा (मऊ रानीपुर)- इसका नाम कमला सागर है। सपरार नदी पर कुरैंचा नामक ग्राम में बना होने से कमला सागर को कुरैंचा बाँध भी कहा जाता है। 

इसका बाँध बड़ा सुन्दर एवं सुदृढ़ है। जल भराव क्षेत्र 8-9 किलोमीटर के घेरे में है। इसकी बाईं नहर से मऊ रानीपुर तहसील के अनेक दूरस्थ ग्रामों की सिंचाई की जाती है।

बिजौती तालाब (Bijauti Pond) :

झाँसी के दक्षिण में झाँसी-सागर बस मार्ग पर 10 किलोमीटर की दूरी पर बिजौली ग्राम है जहाँ प्राचीन चन्देली तालाब है जिसका भराव क्षेत्र लगभग 70 एकड़ का है। तालाब के बाँध पर चन्देलयुगीन शिव मठ है। बिजौली के तालाब से कृषि सिंचाई भी की जाती है।

गैराहा तालाब (Gairaha Pond) :

झाँसी जिले की तहसील मऊ के अन्तर्गत गैराहा प्राचीन चन्देलकालीन ग्राम है। जो मऊ के उत्तर-पश्चिम में 12 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ चन्देलकालीन सुन्दर तालाब है। तालाब से संलग्न चन्देली कलात्मक शिव मठ है। गैराहा तालाब से नहर द्वारा कृषि सिंचाई की जाती है।

गुरसराय तालाब (Gursaray Pond) :

 गुरसराय जिला झाँसी की तहसील गरौठा अन्तर्गत मऊ-एरछ बस मार्ग पर स्थित अच्छा व्यापारिक कस्बा है। यह किला परकोटा से संलग्न पूर्वी अंचल में सुन्दर जननिस्तारी तालाब है जो यहाँ के मराठा मामलतदार ने बनवाया था। तालाब के बाँध पर मनमोहक वृक्षाबलि एवं मन्दिर समूह है। तालाब एवं मन्दिरों का दृश्य बड़ा आकर्षक है। कुछ स्थानीय लोगों की किंवदंती है कि इस तालाब का निर्माण भसनेह के जागीरदार (ओरछा के बुन्देला राजवंशज जागीरदार) ने किला निर्माण के साथ ही कराया था, जबकि मन्दिरों का निर्माण एवं पेड़ों का रोपड़ मराठा काल का है।

हैबतपुरा तालाब (Haibatpura Pond) :

 गरौठा तहसील के अन्तर्गत हैबतपुरा ग्राम एवं तालाब मुगलकालीन प्राचीन ग्राम एवं सरोवर है। इस ग्राम एवं तालाब की स्थापना सन 1548 ई. में मुगल सरदार हैबतखाँ ने कराई थी। यहाँ के तालाब का बाँध पत्थर की पैरियों से बना हुआ है। तालाब के चारों ओर छोटे-छोटे पुरवा बसे हुए हैं, जहाँ देवी-देवताओं के मन्दिरों के भग्नावशेष दृष्टव्य हैं। वर्तमान में तालाब में गाद, गौड़र मिट्टी भर चुकी है, जिस कारण लोग इसमें खेती करने लगे हैं।

झाँसी नगर के तालाब (Ponds of Jhansi)

लक्ष्मी तालाब- लक्ष्मी तालाब झाँसी की मराठा मामलतदार लक्ष्मीबाई के समय का बना हुआ है। यह तालाब झाँसी के नगर निवासियों के धार्मिक सांस्कृतिक कार्यों के सम्पादन होते रहने के लिये प्रसिद्ध है। यह बड़ा सुन्दर तालाब है जो लक्ष्मीगेट के बाहर है। बाँध पक्का पत्थर का है जिसके घाट भी सुन्दर सुविधाजनक बने हुए हैं। नगर के बड़ा बाजार से मुरली मनोहर मन्दिर के सामने से लक्ष्मीगेट को पार कर तालाब पर पहुँच जाते हैं। कजलियाँ, जबारे एवं मुहर्रम के ताजिया इसी मार्ग से चलते हुए तालाब में विसर्जित होते हैं। 

आतिया तालाब (Atiya Pond) :

 स्टेशन रोड पर चलते हुए, वी. के. डी. चौराहा को पार कर आतिया तालाब पर पहुँच जाते हैं। पहले इस तालाब में मराठा मामलतदार के हाथी-घोड़े पानी पिया करते थे। वर्तमान में इस तालाब से संलग्न लोहे का बाजार बन गया है।

शिव सागर तालाब (Shivsagar Pond) :

 झाँसी का शिवसागर, तालाब मामलतदार शिवराव मराठा ने बनवाया था, जो निस्तारी तालाब रहा है। श्याम चौपरा, झाँसी- यह सुन्दर चौपरा है जिसे झाँसी के नगर सेठ श्याम चौधरी ने बनवाया था।

पिसनारी का तालाब (Pond of Pisnari) :

पिसनारी का तालाब झाँसी में बड़ा गाँव गेट के बाहर है इसे अनाज पीसने वाली सरजूबाई पिसनारी ने, अनाज पीसने की मजदूरी में प्राप्त धन से जनहितकारी पुण्य हेतु इस तालाब का निर्माण कराया था। इसी कारण इसे पिसनारी तालाब कहा जाता है।

कचनेव का तालाब (Pond of Kachnew) :

 यह तालाब मऊ रानीपुर (मऊ) तहसील के अन्तर्गत बंगरा के पास दक्षिण की ओर कचनेव (ककर कचनेव) गाँव में स्थित है जो चन्देल शासन युगीन है। यह तालाब लगभग 16 किलोमीटर घेरे में है और एक विशाल झील की तरह पहाड़ियों के मध्य स्थित है। पर्यटकों के लिये आकर्षण का स्थल है। यहाँ एक प्राचीन मठ है जिसे जैतमठ नाम से जाना जाता है।

तेजपुरा घुरार का तालाब (Pond of Tejpura Ghurar) :

 झाँसी जिले की मऊ तहसील के बंगरा के गाँव में 5 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ियों के मध्य एक विशाल तालाब है, जो तेजपुरा गाँव में है। यह तालाब एक झील के रूप में दिखता है। तालाब के बाँध पर शिव मठ है। यह चन्देली तालाब है।

कोछा भँवर तालाब (Kochha Bhanwar Pond) :

 कोछा भँवर गाँव झाँसी से 6 किमी. की दूरी पर झाँसी कानपुर मार्ग पर स्थित है। यहाँ एक सुन्दर चन्देली तालाब है। इस तालाब से कृषि सिंचाई हेतु नहर निकली हुई है।

लहचूरा बाँध (Lahchura Pond) :

 पऊ से हरपालपुर और नौगाँव (छावनी) जाने वाले बस मार्ग पर पहाड़ी गाँव के पास धसान नदी पर लहचूरा बाँध है, जो 2210 फीट लम्बा पक्का बना हुआ है जिसे अंग्रेजी सरकार ने 1908 ई. में बनवाया था। इसे पहाड़ी बाँध भी कहते हैं। इससे दूर-दूर तक सिंचाई की जाती है।

पचबारा का तालाब (Pond of Pachbara) :

 पचबारा ग्राम मऊ के उत्तरी-पश्चिमी भाग में 15 किमी. की सीधी दूरी पर एवं बंगरा से 6 किमी. की दूरी पर स्थित है। पचबारा गाँव में चन्देलकालीन 18-20 किलोमीटर भराव क्षेत्र का सुन्दर तालाब है। तालाब गौड़र, गाद, मिट्टी एवं कीचड़ से भर रहा है। यदि इसका जीर्णोद्धार हो जाए, गाद गौंड़र निकाल दी जाए तो यह एक दर्शनीय सरोवर बन जाएगा।

रौनी के तालाब (Ponds of Rauni) :

 रौनी ग्राम मऊ से 6 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में है। यहाँ चन्देलकालीन दो तालाब हैं। प्रथम तालाब गाँव से संलग्न है जो जन-निस्तारी है। दूसरा तालाब केदारेश्वर महादेव मन्दिर के पास है। यह बड़ा तालाब है जो केदारेश्वर पहाड़ को काटकर बना हुआ है।

इनके अतिरिक्त बक्सी तालाब, राजा का तालाब, ढिकौली तालाब, गढ़िया तालाब, धर्मशाला तालाब, पाली पहाड़ी तालाब, कैया तालाब झाँसी तहसील में, बम्हौरी विजयगढ़, बलखेड़ा, चुरारा, घुराट, खारौन, किसनी बुजुर्ग, कुंजा तालाब, नवादा तालाब, पलरा तालाब, सियाबरी, सिजारी एवं जेर तालाब मऊ तहसील में, अष्टा ताल वरवार, दखनेसर, टुगाड़ा, मरगुवाँ, परसुवा, मगरवारा तालाब गरौठा मौठ तहसील में, विलहरी, खरकी, सगौली, खौड़, जसपुरा, पिपरा ग्रामों के तालाब हैं।

झाँसी जिला में पारीछा बाँध, सुकवां ढुकवां बाँध, पहूज एवं छपरा बाँध हैं जिनसे विद्युत उत्पादन के साथ-साथ दूर-दूर तक कृषि सिंचाई को पानी दिया जाता है।

Courtesy:  डॉ. काशीप्रसाद त्रिपाठी

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