History of Bundelkhand Ponds And Water Management - बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास : महोबा जिले के तालाब (Ponds of Mahoba)
History of Bundelkhand Ponds And Water Management - बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास
महोबा जिले के तालाब (Ponds of Mahoba)
वर्तमान का जिला महोबा, पूर्वकालिक हमीरपुर जिला का दक्षिणी भूभाग है, जो पहाड़ी, पथरीला एवं टौरियाऊ ढालू है। इस क्षेत्र में बन रहे हैं। अधिकांश भूमि राकड़ है। कुछ भूमि दुमट और काली है। फिर भी मुरमयाऊ राकड़ मिट्टी अधिक है। पहाड़ियों, टौरियों के होने से बरसाती धरातलीय प्रवाहित होते जाते जल को संग्रहीत करने के लिये चन्देल राजाओं ने सर्वप्रथम तालाबों के निर्माण को सरल और उपयोगी समझा। महोबा तो चन्देलों की राजधानी ही थी, जिसे उन्होंने मालाकार तालाबों की करधनी पहनाकर जलमय नगर बना दिया था। महोबा में निम्नांकित तालाब हैं-
महोबा नगर के तालाब
महोबा नगर चन्देल राजाओं की राजधानी थी। ऐसी लोक धारणा है कि त्रेता युग में महोबा केकपुर नाम से जाना जाता था, जबकि द्वापर युग में इसे पत्तनपुरा कहा जाता था। पत्तनपुरा सातवीं सदी में एक सामान्य खेड़ा अथवा ग्राम था। इसी पत्तनपुरा में चन्द्रब्रम्ह ने महोत्सव कराया था। महोत्सव सम्पन्न होने पर पत्तनपुरा का नाम महोत्सवपुरी रखा गया था जिसे कालान्तर में महोबा कहा जाने लगा था। चन्द्रब्रम्ह चन्देलों के आदि पुरुष थे और महोबा उनका मूल ठिकाना था। चन्देल राजाओं ने महोबा नगर के चारों ओर मालाकार रूप में सुन्दर विशाल सरोवरों का निर्माण कराकर, इसे आकर्षक, मनोरम एवं जलमय नगरी बना दिया था।
1. राहिला सागर (Rahila sagar) :
यह सरोवर महोबा नगर के दक्षिण-पश्चिम में 3 किलोमीटर की दूरी पर है, जो चन्देल राजा राहिल देव (890-910 ई.) ने बनवाया था। इसका बाँध विशाल, लम्बा चौड़ा एवं सुदृढ़ है। इसके बाँध पर तेलिया पत्थर से सुन्दर राहिला सूर्य मन्दिर बनवाया गया था। यह सूर्य मन्दिर बाँध के पश्चिमी पार्श्व में आज भी दर्शनीय है। राहिला मन्दिर में सूर्य देव की प्रतिमा लगभग 4 फुट ऊँची बलुआ पत्थर की आराधना मुद्रा में है। राहिला सागर को सूरज कुंड भी कहा जाता है।
2. विजय सागर (Vijay sagar) :
यह तालाब महोबा के पूर्वी अंचल में कानपुर मार्ग पर है, जिसका निर्माण राजा विजय वर्मा चन्देल (1040-50 ई.) ने कराया था। यह तालाब बहुत बड़ा तथा गहरा है। गहरा एवं विशाल होने के कारण इसे नौका विहार और स्वीमिंग पूल के रूप में पर्यटक झील का स्वरूप दिया जा सकता है। इसके बाँध पर प्राचीन बस्ती थी जिसके खंडहर अब भी देखे जाते हैं। बस्ती में बरगद के पेड़ थे जो अभी भी खड़े हुए हैं। सन 1855 ई. में अंग्रेज इंजीनियर बर्गेस ने इस तालाब के बाँध में सलूस बनवाकर, कृषि सिंचाई के लिये पानी निकालने का प्रबन्ध कर दिया था। तालाब के बाँध की बस्ती का नाम बीजा नगर कहा जाता था। इसी कारण इस तालाब को बीजा सागर भी कहा जाता रहा है।
3. कीरत सागर(Keerat sagar) :
महोबा- यह तालाब चन्देल राजा कीर्ति वर्मा (1053-1100 ई.) ने बनवाया था, जो महोबा नगर के दक्षिणी पार्श्व में है। इसका बाँध तेलिया पत्थर की पैरियों से बना है। यह विशाल तालाब है, जिसका जल सदा निर्मल एवं स्वच्छ रहता है। इस तालाब में कमल पैदा होता है। इसका भराव क्षेत्र 18 किलोमीटर है। इस तालाब को स्थानीय लोग किरतुआ तालाब भी कहते रहे हैं जिसमें चन्देल राजघराने की बहू-बेटियाँ अपनी सखियों सहित श्रावण मास की प्रतिपदा को कजलियाँ विसर्जित करने समारोह पूर्वक जाया करती थीं। परमाल राजा के शासनकाल में सन 1182 ई. में पृथ्वीराज चौहान ने चन्देल राज्य महोबा पर आक्रमण करते हुए, कजलियाँ विसर्जन के अवसर पर चन्देल राजकुमारी चंद्रावल के अपहरण हेतु इसी तालाब पर युद्ध लड़ा था, जिसमें चन्देलों की ओर से आल्हा-ऊदल ने शौर्यपूर्वक मुकाबला कर पृथ्वीराज चौहान की सेना को पराजित कर महोबा से खदेड़ दिया था।
कीरत सागर ऐतिहासिक तालाब है। इसके बाँध के पीछे एक मुरमीली पहाड़ी है जिसके शिखर पर दो समाधियाँ बनी हुई हैं, जो ताला सैयद एवं झालन की कही जाती हैं। ताला सैयद एवं झालन आल्हा ऊदल के सहयोगी एवं सहायक थे। यहीं पर आल्हा की बैठक बनी हुई है जो तेलिया पत्थर की पटियों (चीरों) से बनी है।
4. मदन सागर तालाब (Madan sagar Pond)
, महोबा- मदन सागर तालाब, मदनवर्मा चन्देल (1129-1162) ने अपने नाम पर बनवाया था, जो महोबा नगर के दक्षिणी पार्श्व में स्थित है। इस तालाब का प्राकृतिक परिवेश अति रमणीक है। तालाब के बाँध पर अनेक प्राचीन प्रस्तर प्रतिमाएँ बिखरी हुई हैं। तालाब के उत्तरी-पश्चिमी भाग में एक उभरी पथरीली चर्र (पटपरिया) पर शिव मन्दर है, जिसे ककरामठ कहा जाता है। ककरामठ के पास ही एक सुन्दर बैठक थी, जिस पर बैठकर राजा सरोवर का सौंदर्य निहारा करते थे। ककरामठ के पास ही दूसरी चर्च पर विष्णु मन्दिर एवं बैठक थी जो वर्तमान में ध्वस्त हो चुके हैं।
मदन सागर तालाब से चन्देल राजाओं की ऐतिहासिकता जुड़ी हुई है। इस तालाब के उत्तरी पार्श्व की पहाड़ी पर चन्देलों का किला था, जिसके दो पश्चिमी एवं पूर्वी दरवाजे थे, जिन्हें क्रमशः भैंसा एवं दरीवा दरवाजे कहा जाता था। चन्देलों की आराध्य मनिया देवी का मन्दिर भी यहीं पर है। तालाब के दक्षिणी भाग में बड़ी चन्द्रिका देवी, शिव गुफा एवं काँठेश्वर शिव का मन्दिर है यहीं दक्षिणी-पूर्वी भाग में जैन अतिशय क्षेत्र है जिसके समीप छोटी चन्द्रिका देवी का मन्दिर गोरखी पहाड़ी पर था। यह गोरखी पहाड़ी गुरु गोरखनाथ की तपःस्थली थी। इसी कारण इसे गोरखी पहाड़ी कहा जाता है। इस पहाड़ी में दो अन्धेरी एवं उजाली गुफाँए भी हैं। इसी पहाड़ी की तलहटी में शिव ताण्डव मन्दिर है। शिव ताण्डव मन्दिर के पास एक अनूठी अनन्य प्रतिमा ‘पठवा के बाल महावीर’ की है, जो दर्शनीय है। यहाँ पास ही में एक चट्टान में ‘काल भैरव’ की उत्कीर्ण प्रतिमा है। मदन सागर बाँध पर सिद्ध बाबा का मेला भरता है जो कजलिया मेला के बाद लगता है।
5. कल्याण सागर (Kalyan sagar) :
इस तालाब का निर्माण बीर बर्मा चन्देल राजा (1242-86 ई.) ने कराया था, जिसका नाम अपनी रानी कल्याण देवी के नाम पर रखा था। यह सरोवर महोबा के पूर्व में कानपुर-सागर मार्ग पर है। कल्याण सागर तालाब, मदन सागर एवं विजय सागर तालाब के मध्य दोनों से मिला हुआ है। इसके बाँध पर सतियों के चीरा लगे हैं, सिंह वाहिनी देवी, बल खंडेश्वर महादेव एवं चामुंडा देवी मंदिर बने हुए हैं। ऐसा लगता है कि इस बाँध पर चन्देलों के शमशान रहे होंगे।
6. श्रीनगर तालाब (Shrinagar Pond) :
श्रीनगर ग्राम महोबा-छतरपुर बस मार्ग पर स्थित है। यहाँ दो सुन्दर तालाब हैं, जो बुन्देला शासनकाल के हैं। प्रथम बड़ा तालाब कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस तालाब को मोहनसिंह बुन्देला ने बनवाया था। एक दूसरा छोटा तालाब भी यहाँ है।
7. मकरवाई तालाब (Makarwai Pond) :
प्राचीन समय में मकरवाई परिक्षेत्र अहीर जाति के अधिकार में था, जिसे बाद में मकरन्द राजपूत ने छीनकर अपने अधिकार में ले लिया था। उसी ने मकरवाई ग्राम बसा कर एक सुन्दर तालाब का निर्माण कराया था। तालाब के बाँध पर शिव मन्दिर है।
8. गढ़ा तालाब, कुल पहाड़ (Gadha Pond,Kulpahad) :
कुल पहाड़ में बुन्देला शासनकाल का बना हुआ गढ़ा तालाब है। यह गहरा है एवं बड़ा भी है। गहरा होने के कारण ही इसे गढ़ा तालाब नाम मिला है। इसके बाँध पर मन्दिर है। स्नान घाट भी सुन्दर बने हुए हैं।
9. महामन तालाब, खरेला (Mahaman Pond,Kharela) :
खरेला बड़ा ग्राम है जो मुस्करा परगना में है। यहाँ चन्देलकालीन बड़ा तालाब है। बाँध पर कजलियों का मेला भरता है।
10. ब्रम्ह सरोवर, कबरई (Brahm Sarovar,Kabrai) :
कबरई में चन्देल राजा परमाल देव के पुत्र ब्रम्हा का बनवाया हुआ, विशाल झील-सा ब्रम्ह सरोवर तालाब है। इसकी पाल (बाँध) बहुत लम्बी-चौड़ी है जिसमें पत्थरों की बड़ी-बड़ी पैरियों का प्रयोग किया गया है। इसके बाँध पर विशाल शिव मठ था। तालाब के मध्य की एक पटपरिया (पठार) पर चन्देलों की बैठक एवं सैरगाह थी।
इस सरोवर में गाद, गौंड़र एवं कीचड़ अधिक भर गई है। यदि इसका कचड़ा निकालकर पूर्ववत साफ करा दिया जाए तो यह बुन्देलखण्ड के दर्शनीय तालाबों में होगा।
11. बेला ताल, जैतपुर (Belatal,Jaitpur) :
जैतपुर (बेलाताल) झाँसी-मानिकपुर रेलवे का एक स्टेशन है। जैतपुर बस्ती से 3 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व दिशा में विशाल तालाब बेला तालाब है। कुछ लोग इसे वाला वरमन चन्देल का बनवाया हुआ बतलाते हैं, जबकि यह चन्देल राजा परमालदेव के पुत्र ब्रम्हा का बनवाया हुआ है। इसका नाम ब्रम्हा ने अपनी रानी बेला के नाम पर बेला तालाब रखा था। इस तालाब का भराव क्षेत्र 15 किमी. का है। तालाब के बाँध पर शिवाला था जो आज ध्वस्त है। तालाब के पश्चिमी पार्श्व में छत्रसाल के पुत्र जगतराज ने एक छोटा-सा किला बनवाया था जो टूटा-फूटा है। कुछ हिस्सा मराठों ने तोड़ दिया था। स्थानीय लोग इसे केशरी सिंह का बनवाया कहते हैं।
अंग्रेजी काल में बेला ताल के बाँध पर जलनिकासी हेतु सलूस लगवाया गया था। नहरें बनवाई गई थीं जिससे सैकड़ों हेक्टेयर की कृषि सिंचाई होने लगी थी।
सन 1855 ई. में बेला तालाब के साथ ही विजय सागर तालाब, दशपुर तालाब, थाना तालाब, मदन सागर, कीरत सागर, कल्याण सागर, नैगुआं, टीकामऊ तालाबों में सलूस लगवाकर कृषि सिंचाई सुविधा बढ़ाई गई थी। सन 1914 ई. में मझगवां तालाब की 52 किमी. लम्बी नहर, कुल पहाड़ तालाब से 1924 ई. में 8 किमी. की नहर, बेला तालाब, रैपुरा, कमलपुर तालाबों से 110 किलोमीटर लम्बी नहरें बनवाई गई थीं। सन 1973-74 में अर्जुन नहर, कवरई नहर, केवलारी चन्द्रावल नहरें 426 किमी. लम्बी बनी थीं।
12. चरखारी नगर के तालाब (Ponds of Charkhari) :
चरखारी नगर महोबा से 15 किलो मीटर की दूरी पर 25.24 उत्तरी अक्षांश एवं 79.48 पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। चरखारी नगर के चारों ओर माला (LINKED) तालाब हैं। चरखारी का सौन्दर्य तालाब हैं, जिसे तालाबों का नगर कहा जाता है।
चरखारी महाराजा छत्रसाल पन्ना के द्वितीय पुत्र जगतराज जैतपुर के ज्येष्ठ पुत्र कीरत सिंह के दूसरे पुत्र खुमानसिंह की राजधानी था। जब जगतराज जैतपुर में रहते थे तो यदाकदा यहाँ की चरखैरी पहाड़ी पर चरखैरों (हिरणों) का शिकार खेलने आया-जाया करते थे। उन्हें चरखैरी पहाड़ी का प्राकृतिक सौन्दर्य पसन्द आया, तो उन्होंने 1758 ई. में मंगलवार के दिन पहाड़ी पर किला निर्माण की आधारशिला रखी। परन्तु उसी वर्ष उनका स्वर्गवास हो गया था। बाद में जगतराज के उत्तराधिकार को लेकर पहाड़ सिंह और ज्येष्ठ भ्राता के पुत्रों गुमान सिंह, खुमान सिंह में पारिवारिक कलह हो गया था। जिसका समापन पहाड़ सिंह ने अपने दोनों भतीजों गुमानसिंह, खुमान सिंह को भूरागढ़, बाँदा एवं चरखारी के राज्य देकर कलह शान्त कर दिया था।
खुमान सिंह को चरखारी का स्वतन्त्र राज्य मिला तो उन्होंने किला निर्माण कार्य पूर्ण करवाकर, उसका नाम मंगलगढ़ रखा था। किला पहाड़ी (चरखैरी) के नीचे बस्ती बसाकर, उसका नाम भी चरखैरी के नाम पर चरखारी रख दिया था। खुमान सिंह के पश्चातवर्ती राजाओं ने नगर के चारों ओर नगर सौन्दर्य एवं जन-जल सुविधा हेतु तालाओं का निर्माण कराकर, इसे तालाबों की नगरी के रूप में पहचान दी थी। जिसका ब्योरा इस प्रकार है-
विजय सागर तालाब(Vijay Pond), चरखारी- यह तालाब चरखारी नरेश विजयसिंह (1782-1823 ई.) ने किला की तलहटी में दो पहाड़ियों के मध्य चरखारी नगर के किनारे बनवाया था।
रतन सागर तालाब(Ratan sagar Pond)- रतन सागर तालाब चरखारी नरेश रतनसिंह (1829-60 ई.) ने बनवाया था, जो नगर सीमा में संलग्न है।
जय सागर तालाब(Jai sagar Pond)- यह तालाब चरखारी नरेश जयसिंह (1860-80 ई.) ने दीवान तातिया टोपे की देख-रेख में बनवाया था, जो नगर से संलग्न है।
मलखान सागर(Malkhan sagar), चरखारी- यह सरोवर चरखारी नरेश मलखान सिंह ने सन 1882 ई. में बनवाया था। यह भी नगर के किनारे सुन्दर तालाब है। गोवर्धन नाथ का मन्दिर इसी मलखान सागर पर है।
गुमान सागर(Guman sagar), चरखारी- यह सरोवर चरखारी नरेश गुमान सिंह ने बनवाया था।
सुदामापुरी तालाब(Sudamapuri Pond), चरखारी- सुदामापुरी तालाब भी नगर सीमा से संलग्न है।
किला मंगलगढ़ के तालाब(Ponds of Mangalgarh fort)- किला मंगलगढ़ में पहाड़ का पत्थर काटकर, बिहारी तालाब, मंडना तालाब एवं काकुन तालाब बनवाये गए थे।
चरखारी नगर के चारों ओर, एक दूसरे से संलग्न 7 तालाब-कोठी तालाब, गोलाघाट तालाब, जय सागर तालाब, बंशिया तालाब, रपट तलैया, विजय सागर एवं मलखान सागर हैं। इनके मध्य के नगर से बाहर की ओर को आवाजाही मार्ग हैं। तालाबों के बाहर सुन्दर मनोरम पहाड़ियाँ हैं जिनसे तालाबों की शोभा निखर उठती है।
दसपुर तालाब(Daspur Pond)- महोबा के उत्तर में दसपुर ग्राम में बड़ा तालाब है। इस तालाब से कृषि सिंचाई हेतु नहरें निकाली गई हैं। यहाँ बच्छराज एवं दच्छराज बनाफरों का पुराना किला है।
टोला तालाब(Tola pond)- यह महोबा के निकट पिकनिक मनाने वालों के लिये मनोरम तालाब है।
इनके अतिरिक्त महोबा जिले में पहरा तालाब, तेली पहाड़ी तालाब, पवाँ तालाब, विलखी तालाब, उरवारा तालाब, पसनहाबाद तालाब, सिजहरी तालाब, पठारी तालाब, कदीम तालाब, छतरवारा तालाब, नरैरी तालाब, अखारा तालाब, रावतपुरा खुर्द तालाब, सैला माफी तालाब, सारंगपुर तालाब, बौरा तालाब, भड़रा तालाब, दमौरा तालाब, मिरतला, दिदवारा तालाब, गुर हरौ तालाब, मनकी तालाब, नरवारा तालाब, मजगुवां तालाब एवं पिपरा तालाब हैं।
Courtesy: डॉ. काशीप्रसाद त्रिपाठी