हास्य कवि “कान्ह बुन्देला”, Kanh Bundela
कान्ह बुंदेला, बुंदेलखंड के एक हास्य कवि थे, जिनकी खास बात यह थी की वे आंशिक रूप से अंधे होने के बावजूद बड़ी ही खूबसूरती से बुंदेलखंडी भाषा में कविताएं लिखते थे ।
उन्होंने मुख्यतः हास्य कवितायेँ लिखी, जिनका प्रकाशन “हास्य हवेली” नामक किताब में हुआ था ।
प्रमुख कवितायेँ :
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चप्पल (Chappal)
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अमृत ध्वनि
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केन की कामिनी
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ब्याह के भूखे
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सम्मलेन की तैयारी
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मूर्ख कवि
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नसबंदी
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जनटुल मैन
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फैशन का भूत
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रेल की ठेल
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बाँदा के चौदह रत्न
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आव्हान
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ऐ अंग्रेजो भारत छोड़ो
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बापू
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चन्दा मामा
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रिश्वत खोर
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हास्य हवेली