(कविता) ''बुन्देलखण्ड के हम वासी हैं'' - नितिनराज खरे 'चेतन'

''बुन्देलखण्ड के हम वासी हैं''

बुन्देलखण्ड के हम वासी हैं- महोबा जिला हमारा है !

वीर भूमि आल्हा ऊदल की -हमको प्राणों से प्यारा है !!

यह परमालिक की रजधानी-यह युद्ध भूमि मल्खाने की!

यह कर्मभूमि जो रणवीरों की-रण मे छुट्टी करे जमाने की!!

जहां की माटी मे बारुद है - है खून जहां के पानी मे ,

घर घर बसें जहां शूरमा - है जोश जहां की वानी मे !!

धन दौलत की नही कमी, बुन्देलखण्ड के खजाने मे,

यहां का पाथर भी सोना, नित बिकता जाय जमाने मे !

बुन्देलखण्ड के कश्मीर मे - स्वर्ग अभी भी बसता है !

चरखारी की उस जगीर को-अमरीका भी तरसता है !!

बुंदेलों की पावन माटी में, थे पैदा छ्त्रशाल से वीर हुए

धन्य हुई यह वसुधा भी, सब धन्य कृपाण व तीर हुए

गाथा कौन भुला सकता है, उस रणचंडी अवतार के

उस समर सिंहनी लक्ष्मी के,उस देशभक्त तलवार के

सदा बुंदेलों की इस धरती में, वीरों की सजी कतार रही

मात्रभूमि खातिर मिट जाओ, जिनकी अमर पुकार रही

बुंदेलों की इस माटी मे पैदा -बहुतेरे वीर जवान हुए !

समर के किस्से जिन वीरों के- अमर कथा पुराण हुए!!

इस मिट्टी के कण कण को, ये कलम कर रही वन्दन है

इस मिट्टी का ही तिलक करो, यही हल्दी रोली चन्दन है

कवि- 'चेतन' नितिनराज खरे 'चित्रवंशी' महोबा, बुन्देलखण्ड उत्तर प्रदेश