(Report) कबरई की खदानें बन्द करानें के साथ ही उन्हें पुनः संरू करानें की पहल भी प्रारम्भ “बरगद”

कबरई की खदानें बन्द करानें के साथ ही उन्हें पुनः संरू करानें की पहल भी प्रारम्भ “बरगद”

बांदा 5 नवम्बर। मंगल सिंह की मेहनत रंग लाई, और कबरई की पत्थर खदानों को बन्द करा उनमें पुलिस का पहरा लगा दिया। मंगल सिंह द्वारा दायर जनहितयाचिका पर खदानें बन्द करानें के उच्च न्यायलय इलाहाबाद के स्पश्ठ निर्देशों के बाद भी जिला प्रसाशन महोबा, उत्तर प्रदेश खनिज विभाग तथा भारत सरकार का खान सुरक्षा निदेशालय कान म तेल डाले बैठा रहा। लेकिन खदानों में हो रही तावण तोण दुघ् र्टना में लोगों की हो रही मौतों से भारत सरकार का खान सुरकषा निदेषालय हरकत में आया।

 देर से ही सही, खान सुरक्षा निदेशालय की इस कार्यवाही पर बुन्देलखण्ड रिषर्च ग्रुप फार डवलपमेंन्ट “बरगद” नें सन्तोश जाहिर किया है साथ ही आगाह भी किया है कि पूर्व की भाॅति यदि परिस्थितियों के साक्ष्यों की लीपा पोती कर बन्द की गयी खदानों को पुनः जारी करानें का साजिसान  काम किया गया तो उसके खिलाफ जनसंर्घश प्रारम्भ कर दिया जायगा। “बरगद” की एक आपात बैठक में यह निर्णय लिया गया है।

 “बरगद” के संयोजक अवधेश गौतम नें एक विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि बन्द कराई गयी पत्थर खदानों के समर्थन में स्टोनक्रेसर एसोशिएशन नें फर्जी तथ्य गढ़नें शुरू कर दिए हैं। उसनें एक बयान जारी कर कहा है कि कच्चे माल के अभाव में स्टोनक्रेसर्स का काम बन्द हो गया है जिस कारण पाच हजार से भी अधिक मजदूरों के सामनें रोजी रोटी की गम्भीर समस्या पैदा हो गयी है।

प्रसाशन ऐसे ही मनगढ़न्त तथ्यों के आधार पर सान को रिपोर्ट भेज कर खदानों को पुनः चालू करानें केलिए प्रयास प्रारम्भ कर देगा। लेकिन जिला प्रसाशन महोबा स्टोनक्रेसर मालिकों से यह क्यों पूछेगा कि प्रतिवर्श खदानों और स्टोनक्रेसर्स में होनें वाली दुघ्ाटनाओं में सैकड़ों की तादात में मजदूर या तो मर जाते हैं या फिर अपाहिज हों जाते हैं। मजदूरों की हमदर्द स्टोनक्रेसर एसोषिएसन निराश्रित हो गए मजदरों के परिवारों के पुनर्वास के तिए क्या काम करती है।

जिला प्रसाशन महोबा को शायद यह जाननें की भी आवष्यकता नहीं है कि स्टोनडस्ट के कारण होने वाली शिल्कोसिश जैसी तमाम गम्भीर बीमारियों से कबरई तथा उसके 5 कि0मी0 की परिधि में आनें वालें गाॅवों में कितनें हजार लोगों की मौत होती है ! षायद उसे यही जाननें की आवष्यकता नहीं है कि देश की अधिकतम आयुसीमा के मुकाबिले इस क्षेत्र की आयुसीमा कितनी कम हो गयी है।

जिला प्रसाशन को यह जाननें की भी जरूरत नहीं होगी कि बुन्देलखण्डी हवाओं के कारण कबरई से 10 कि0मी0 की परिधि के गांवों में खेतों पर बिछ गयी स्टोनडस्ट के कारण 20 हजार किसान व 40 हजार कृशक मजदूर अपनी आजीविका से विस्थापित हो गए हैं, और अब कृशिकार्य बन्द कर औने पौने जमीनें बेंच देने की फिराक में हैं।

“बरगद” अपने सदस्यों के माध्यम से ऐसे सारे आंकणे एकत्र करनें की योजना पर अमल प्रारम्भ कर चुका है। बुन्देलखण्ड को गैर आवाद होनें से बचानें के लिए यहां के पर्यावरण के विनाश के खिलाफ महात्मा गाधी द्वारा सुझाए रास्ते से जनसंघर्श की तैयारी कर रहा है। पर्यावरण को विनश्ट कर अपनें व्यवसाय करनें वालों के प्रति अपनी हमदर्दी का अहसास कराते हुए “बरगद” नें यह भी कहा है कि बुन्देलखण्ड में ऐसे बहुत सारे व्यवसायों की प्रवल सम्भानाएं हैं, जिनसे बहुत सारी आमदनी की जा सकती है और पर्यावरण का भी बेहतर संरक्षण होगा। यदि पत्थर और बालू की खदानों तथा स्टोन क्रेसर के व्यवसाई चाहेंगे तो “बरगद” उनके लिए भी काम करनें में खुषी का अहसास करेगा। लेकिन अब पर्यावरण का विनास किसी भी कीमत पर बरदास्त नहीं किया जायगा।

अवधेष गौतम, संयोजक