(Report) लाचार किसानों का मखौल उड़ाया गया है आमिर की "पीपली लाइव" में : संजय पाण्डेय

लाचार किसानों का मखौल उड़ाया गया है आमिर की "पीपली लाइव" में : संजय पाण्डेय

नई दिल्ली। बुंदेलखंड एकीकृत पार्टी के संयोजक संजय पाण्डेय ने कहा कि "आमिर खान प्रोडक्शन लिमिटेड की फिल्म "पीपली लाइव" में कर्ज से डूबे तंगहाल और असहाय किसान परिवार का जो चित्रण किया है उसका प्रस्तुतीकरण बड़ा ही गलत है। महज दो घंटे के मनोरंजन की कीमत के रूप में हमारे अन्नदाता किसानों का उपहास करती और उनका मखौल उड़ाती यह फिल्म भले ही दाम और नाम कमा ले किन्तु ऐसी फिल्मो का बहिष्कार होना चाहिए नहीं तो समाज के अन्य दबे कुचले वर्गों की अस्मिता को मनोरंजन की सामग्री बनाते हुए भविष्य में ऐसी और भी फिल्मे बनेंगी ।

नत्था नामक बुन्देलखंडी किसान को धन के लोभ में आकर आत्महत्या करने की लालसा वाला दिखाकर फिल्मकार ने सिद्ध करना चाहा है कि बुंदेलखंड में पिछले वर्षों में किसानों द्वारा जो आत्महत्याएं हुईं वे मुआवजे के लिए हुईं । फिल्म निर्माता की इस सोच ने बुंदेलखंड तथा विदर्भ के उन गरीब परिवारों की आत्मा को झकझोर दिया है जिनके परिवारीजन सूखा और भुखमरी से हारकर मौत को गले लगा बैठे थे । संजय पाण्डेय ने कहा कि आमिर का यह तर्क कि उन्होंने इस फिल्म के माध्यम से मीडिया और राजनेताओं की खिचाई की है तो वे आमिर खान से पूछना चाहेंगे कि उन्होंने अपने इस प्रयोजन को पूरा करने के लिए एक लाचार किसान की इज्जत पर कीचड़ क्यों उछाला ? मीडिया और राजनेताओं को बेनकाब करने के लिए कोई और विषय भी तो लिया जा सकता था!

ऑस्कर पाने की कामना पाल बैठे आमिर खान ने भूलवश या जानबूझ कर एक किसान के अहम् का जो मजाक उड़ाया है वह अक्षम्य है। उनकी इस फिल्म "पीपली लाइव" में यह सिद्ध करने की धूर्तता पूर्ण कोशिश की गयी है कि बुंदेलखंड के किसानों ने या तो पैसे के लिए आत्महत्या की है या फिर स्थानीय नेताओं के दबाव में आकर । किन्तु वास्तविकता यह नहीं है। सच्चाई यह है कि इन किसानों ने सरकारी नीतियों के साथ साथ प्रकृति से बुरी तरह हताश होकर आत्मघाती कदम उठाये ।

फिल्म में एक जगह मुख्यमंत्री द्वारा यह घोषणा करवाना कि "आत्महत्या के इच्छुक किसानों को एक एक लाख रुपये दिए जायेंगे", इससे समाज में आत्मघाती प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलेगा। फिल्म का नायक नत्था जब आत्महत्या की घोषणा करता है तो उसका बेटा कहता है कि पापा जल्दी मरो क्योंकि मुवावजे के पैसे से मुझे ठेकेदार या थानेदार बनना है , यह दिखाकर फ़िल्मकार ने बुन्देली संस्कारों पर तोड़ मरोड़ कर प्रहार किया है कि यहाँ पर बेटों के लिए बाप के मरने का दुःख मुवावजा मिलने की ख़ुशी के सामने फीका है। इतना है नहीं जब झूठी हवा उडती है कि नत्था मर गया है तो उसकी बीबी , माँ और भाई एक भी आंसू बहाने की बजाये पैसे मिलने के सपने देखने लगते हैं। बल्कि नत्था की बीबी पोस्टमोर्टेम के दिन ही अपने जेठ बुधिया से पूछती है , "काये भओ कछू जुगाड़ " यानि कुछ पैसा वैसा मिला क्या ? यानि कुल मिलाकर यह फिल्म "पीपली लाइव" हमारे किसानों के सम्मान की विरोधी तो है ही साथ ही भारतीय मूल्यों के विपरीत है।

जय जवान, जय किसान वाले देश में इस फिल्म के बाद निश्चित रूप से किसान की छवि पर आंच आएगी । इसके लिए आमिर खान के साथ साथ हमारा सेंसर बोर्ड भी दोषी है। संजय पाण्डेय ने अपील की कि किसानों के सम्मान की कीमत पर हमें अपना मनोरंजन नहीं करना चाहिए अर्थात हमें ऐसी फिल्मों का वहिष्कार करना चाहिए।

संजय पाण्डेय

Comments

yadi bundelkhnd ko bachana hai to ise alag rajya banana hoga. hum bundelkhand ke saath hain. hum chahte hain ki bundelkhand alag rajya bane. kyaonki bundelkhand ka vikas alag hokar hi ho salta hai........... preetam singh rawat, state president, rashtriya samanta dal (youth wing) m.p.

iss desh mai jab tak bundelkhand ke garib kissan other state mai Mazdoori ke liye jaate hai aur vaha par bhi unka shoshad utpidan ho raha hai sangthit hone ki jarurut hai na ki alag alag bhagne ki, exp. in NCR (DELHI/Noida) more than 2 lakh mazdoor in bundelkhand is working over there but nobody any do that for him/her so my request to you if we some good for them so make community for bundelkhand (outside) ek bundelkhandi 9818582077