(Story) Arjun Bandh Project in Bundelkhand
पुर्नवास नीति नहीं और शुरू हुई बांध परियोजना
क्या है अर्जुन बांध परियोजना- इस योजना के अंर्तगत कंेद्र सरकार से 90 प्रतिशत और राज्य सरकार से 10 प्रतिशत अनुदान शामिल है। यह योजना 8.6 अरब रूपए की है। बांदा, महोबा, हमीरपुर के 112 गांव के किसानों की कृषि भूमि को अधिग्रहित किया जाना है। अब तक 223 किसानों की जमीनें आपसी सहमति से ली जा चुकीं हैं। कुल 30 हजार 0.56 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी। इस लिंक परियोजना को महोबा की धसान नदी से जोड़कर 38.60 किमी लंबी नहर लहचुरा डैम जिसकी क्षमता 73.60 क्यूमिक वाटर कैपसिटी की है जिसे अर्जुन बांध से जोड़ा जाएगा। 31.30 किमी लंबी लिंक नहर अर्जन बांध से कबरई बांध जिसकी क्षमता 62.32 क्यूमिक वाटर कैपिसिटी है को शिवहार चंद्रावल बांध से मिलाते हुए बांदा की केन नहर से जोड़ा जाना है।
भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना भी जारी नहीं हुई और बुंदेलखंड की महत्वपूर्ण अर्जुन बांध परियोजना में करीब 10 हजार किसानों को उजाड़ने का खाका तैयार कर लिया गया। परियोजना के अतर्गत डूब क्षेत्र से प्रभावित किसानों के लिए अभी शासन ने पुर्नवास नीति निर्धारित नहीं की और जिलास्तरीय समिति के द्वारा आपसी सहमति से सर्किल रेट के मुताबिक 112 गांव की भूमि इस योजना की जद में हैं। अर्जुन सहायक बांध परियोजना पर एक पड़ताल....
बुंदेलखंड में नदी बांध परियोजना हमेशा ही विवादों के घेरे में रहीं हैं। फिर चाहे केन-बेतवा लिंक परियोजना हो या अर्जन बांध परियोजना। एशिया के सर्वाधिक बांधों वाले क्षेत्र में एक के बाद एक नदी बांध परियोजनाएं केंद्र सरकार के एजेंडे में शामिल होती हैं और हाशिए पर चली जाती है। इन योजनाओं की डीपीआर आधे-अधूरे अध्ययन पर आधारित होती है जिसमें न किसानों के पुर्नवास नीति का जिक्र होता है और न ही योजना से मिलने वाले वाजिब लाभ का। किसान को अपनी जमीन और मकान से बेदखल करने वाली इस परियोजना का मजनून भी कुछ ऐसा ही है। अब तक 300 किसानों को सर्किल रेट के मुताबिक मुआवजा मिल चुका है और तकरीबन 10 हजार किसान अपनी ही जमीन से हाथ धोने की कगार पर हैं।
वर्षा जल संग्रहण के मद्देनजर बरसात में कबरई डैम 9.23 मीटर से 163.46 मीटर जलस्तर बढ़ने पर 1240 हेक्टेयर मीटर से 13025 हेक्टेयर मीटर तक की भूमि सिंचित की जा सकेगी ऐसा सरकार का दावा है। इस परियोजना बांध में कुल 149, 764 हेक्टेयर भूमि समतलीकरण का भी प्रस्ताव है। कबरई बांध के तटबंध की लंबाई 6.8 मीटर तथा चैड़ाई 156 मीटर और टाॅप लेबल की चैड़ाई अधिकतम 6 मीटर, ऊंचाई 25 मीटर है। अधिशासी अभियंता मौदहा बांध निर्माण खंड प्रथम जिला महोबा की दी सूचना के अनुसार अर्जुन सहायक परियोजना पर अब तक 36220.00 लाख रूपए व्यय किया गया है और 74137.99 लाख रूपए व्यय किया जाना प्रस्तावित है। अर्जुन सहायक बांध परियोजना के अंतर्गत कबरई बांध के डूब क्षेत्र की अंतिम सीमा में ग्राम गंज, गुगौरा, कबरई, धरौन एवं मोचीपुरा आ रहे हैं। परियोजना के तहत डूब क्षेत्र से प्रभावित किसानों के लिए अभी तक शासन द्वारा पुर्नवास नीति निर्धारित नहीं की गई है और आपसी सहमति से भूमि क्रय की जा रही है। भूमि अधिग्रहण की जाने वाली कृषि भूमि के संबंध में कोई अधिसूचना व राजपत्र शासन द्वारा प्रकाशित नहीं किया गया है।
परियोजना से प्रभावित ग्राम गुगौरा निवासी पंकज सिंह परिहार व ग्राम जुझार के गुलाब सिंह राजपूत का कहना है कि बिना किसानों की सहमति के सरकार जमींने ले रही है जिसका परिणाम यह है कि अब तक एक किसान रामविशाल के आत्मदाह समेत अब तक 3 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। यह पहली ऐसी योजना है जिसमें किसानों के लिए शासन ने कोई पुर्नवास नीति नहीं बनाई है। अलबत्ता मुआवजा जिलास्तरीय समिति के द्वारा निर्धारित सर्किल रेट के आधार पर किया जा रहा है। उनका कहना है कि 1543 हेक्टेयर भूमि अभी खरीदना शेष है। बुंदेलखंड को किसानों की कब्रगाह बनाने वाली इस बांध परियोजना का कांट्रेक्ट नई दिल्ली की मेसर्स सिम्प्लेक्स प्रोजेक्ट लिमिटेड और झांसी की मेसर्स घनाराम इंजीनियर कांटेªक्ट कंपनी को दिया गया है। उधर महोबा जिलाधिकारी अनुज कुमार झा कहते है कि किसानों से आपसी सहमति के द्वारा भूमि ली जा रही है। इसमें किसानों को 12 से 13 लाख रूपए प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जा रहा है।
लेकिन अर्जुन सहायक नदी बांध परियोजना का लब्बोलबाब दरअसल यह है कि जिन किसानों ने अपनी जाने दी हैं वे असल में मुआवजा न मिलने की भेंट चढ़ गए। रह-रहकर इन्हीं कारणों से चुनावी बयार में हमीरपुर, महोबा लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत बुंदेलखंड अधिकार सेना के बैनर से किसानों को सियासी आंदोलन में धकेलने का काम करते हैं। राजपूत बाहुल्य महोबा और हमीरपुर की यह ठेठ पट्टी स्वाभाव से अपने अधिकारों को लेकर अक्रामक है और उस आग में घी डालने का काम ये नेता बखूबी करना जानते हैं। किसानों के हित और बंुदेलखंड के सिंचाई संसाधनों की बात चुनाव के बाद ठंडे बस्ते मंे चली जाती है। वैसे ही जैसे आज तक केन-बेतवा लिंक परियोजना के डीपीआर भी तैयार नहीं हो सकी है। अर्जुन सहायक बांध परियोजना से बुंदेलखंड को कितना जमींनी लाभ सिंचाई के लिए होगा इसका सही आंकलन भी न तो राज्य सरकार के पास है और ना ही केंद्र सरकार के पास। बावजूद इसके प्राकृतिक संसाधनों में उलट-फेर करते हुए पानी को बांधने के प्रस्ताव इन नदी-बांध परियोजनाओं के रूप में सामने आते है। जिनसे किसान की जमीन और मकान छींनकर एक संस्कृति को विस्थापित किए जाने का मुलम्मा तैयार होता है।
Location : Arjun Dam is situated in Charkhari in Distt. Mahoba
Source River : Arjun River
Max. flood discharge 880 cumecs.
Construction
Year of Start :1952
Year of Completion : 1957
Cost of Project : Rs. 103.74 Lacs
Water Distribution System :
Arjun Dam provides Irrigation to 59722 h.a. Land of Distt. Mahoba & Hamirpur through main canal of 42 k.m. length and distribution system 217.3 k.m. long.
Dam :
Type : Earthen
Length : 5200.00 mt
Height: 27.43 mt
Gross Storage Capacity : 68.35 M.Cum
Live Storage Capacity: 62.97 M.Cum
Spillway :
Length : 21.33 mt
Type of Gates: Free Flow
No. of Gates : 7
Irrigable Command Area (CCA): 59722 h.a.
Annual Irrigation : 10700 h.a.
Actual Irrigation :
1994-95 18264 h.a.
1995-96 18778 h.a.
1996-97 19501 h.a.
1997-98 8225 h.a.
1998-99 23244 h.a.
1998-100 -
By : आशीष सागर दीक्षित
- P.R.A.W.A.S.'s blog
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