(Story) सूखी मंदाकनी नदी इंजीनियरों ने सुखाई है ?

सूखी मंदाकनी नदी इंजीनियरों ने सुखाई है ?

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माँ मंदाकनी चित्रकूट का जीवन स्रोत है .आज स्थित यह है कि मंदाकनी नदी का जीवन स्रोत पानी मंदाकनी से दूर हो गया है .२५ अप्रैल २०११ को नारायण पुर के पूर्व प्रधान भाई राम सवरूप और विजय पण्डे के साथ अभिमन्यु भाई ने मंदाकनी जल ज्ञान यात्रा को कर्वी स्थित बन्ध्वैन बांध को आधार मान कर प्रारंभ क़ी. यात्रा का उद्देश्य नदी में जल की उपलब्धता और समाज का जल के साथ रिश्ता समस्याओ व् प्रयासों स्थित जानना था . आंकलन में मिला कि नदी में पानी बांध कि उचाई से लगभग ६ इन्च कम है .पानी राजापुर की ओर नहीं जा रहा . नदी में एक तरफ पानी ही दूसरी तरफ सूखी सिसकती मंदाकनी नदी है

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बंधवैन ,चंदार्गाहना बनकट गाँव से नदी का सूखना प्रारंभ हो जाता है ,पास में केवटो का पुरवा बड़ी तरिया है वहा की कंचनिया ने कहा हमारे गाँव का जीवन कैसे चलेगा .नदी के सूखते ही कुवा सूख गये. नदी में भरा पानी सड़ने लगा है. मिटटी का तेल नहीं है. मन्सवा लिखा पड़ी नहीं करत . का करी?

नारायणपुर हार में पंसुवो को करते हुवे करका बहिल्पुरावा से सैकड़ो पंसुवो को चराने आए दया राम ने कहा कि हमारे पूरे इलाके पानी सूख गया है यंहा पानी के सहारे से आऐ तो देख रहे है नदी सूख गयी .पिछले की वर्षो से आरहे है लेकिन कभी कल्पना नहीं की थी कि मंदाकनी सूख जायगी. नारायणपुर के श्याम सुन्दर ,चंद्रप्रकाश ने कहा कि हम लोगो को अंहकार था कि नदी कभी नहीं सूखेगी .अब हमारा पूरा गाँव भयभीत है कहा कि कैसे खेती होगी.अभी तो सबसे बड़ी समस्या है पशुवो के पानी की. नदी की दहारो में जमा पानी सड़ने लगा है .पानी जहरीला हो रहा है. गोदाः घाट के सुन्दर केवट नदी का पानी प़ी कर बीमार हो गये थे.

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चंदार्गाहना से लेकर सूरज कुंड तक कुल ७ दहार है .केवल दहारो में पानी है . सबसे जहरीला पानी सूरजकुंड में जन्हा सीधे शव डाले जाते है वहा का है .समाज की मान्यताओ में सूरज कुंड में शवो को डालना शुभ मानते थे लेकिन अब तो शवो को पचाने के लिए नदी में पानी ही नहीं है .सूरज कुंड आश्रम के महराज श्री रामचरंदास जी ने कहा कि यह काम सरकार और पंचायत का वह इसे रोके.लेकिन यह प्रथा गलत है.

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बरवारा के धर्म राज जी ने कहा कि नदी को जो ऊपर बंधा गया है वह बहुत बड़ा अपराध है नदी के साथ .नदी को यदि प्राकृतिक तरीके से बहने दिया जाय तो वह अपने आप बरसात में गन्दगी को बहा लेजाती है . आज नदी के सूखने का सबसे बड़ा कारन नदी में बांध है. फिर सूरज कुंड में नया चेकडैम क्यों बनाया रहा है? सरकार हमारी राय क्यों नहीं लेती . इंजीनियरों ने नदी सुखाई है . नदी में काम करने की स्वीकृत वही देते है.

सूरज कुंड आश्रम से जुड़े बरवारा के जय पाल ,व् रामकेश ने कहा कि आश्रम से लगे पहाड़ो को तोड़ने के लिए अनुमति सरकार ने दिया है. यह नदी से जुड़े पहाड़ है, सारे पेड़ प्रधानो व् वन विभाग ने पहले है कट लिए अब पहाड़ समाप्त करने के आदेशो पर रोज खुदाई चल रही है . कैसे नदी में पानी आयेगा . नदी के किनारे किनारे जंगल नहीं है .सभी लोग नदी के किनारों से केवल फसल चाहते है हरे पेड़ अभी भी काटे जा रहे है. नदी को ज़ब जो चाहे अपनी मर्जी से प्रयोग कर रहा है . कैसे नदी के जल स्रोत बढेंगे. जनप्रतिनिधि , सरकारी अधिकारी किसान , संत सभी नदी सुखाने वाले कामो को कर रहे है. इसी तरह के काम माता अनुसुईया के स्थान में भी किये जा रहे है .इसीलिए नदी पहली बार मृत हुई है. मृत मंदाकनी को पुनर्जीवित करने के सभी को मिलकर सोचना होगा.

२६ अप्रैल २०११ को आश्रम में महराज जी के आशीर्वाद में नदी पुनर्जीवित करने का चिंतन होगा!