(Report) केन - बेतवा लिंक की दूरी और यूपी व एमपी की 8550 प्रभावित जनता । (बुन्देलखन्ड)
केन - बेतवा लिंक की दूरी और यूपी व एमपी की 8550 प्रभावित जनता । (बुन्देलखन्ड)
इस परियोजना से रास्ते मे पड़ने वाले गांवों व सड़क डूब जाने और
नदियों के दोनों किनारे पर मौजूद वनस्पति, जैव विविधता, वन सम्पदा नष्ट हो जाने से
चिन्तित है। परियोजना में केन नदी पर बांध बनाना और बेतवा को जोड़ने वाली 231 किमी0
नहर का निर्माण शामिल है। एक कच्ची संभावना रिपोर्ट के आधार पर समझौते पर हस्ताक्षर
किये गये हैं। व्यवहार्यता रिपोर्ट में बताया गया है कि पन्ना, छतरपुर व दमोह जिले
मंे लगभग 100 वर्गकिमी0 क्षेत्र इस समझौते से डूब जायेगा। इसमें 10 गांव के 8550
निवासी, लगभग 37.5 वर्गकिमी0 वन क्षेत्र और मध्यप्रदेष में गंगा-शाहपुरा में 30
किमी0 सड़क भी शामिल है। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेषक वी0के0
जोषी जैसे भूगर्भवेत्ता ने भी इसकी आलोचना की है कि यह परियोजना दोनों नदियों की
परिस्थितकी प्रणाली को बरबाद कर देगी। केन और बेतवा के जोड़ने से मध्य प्रदेष पर
स्थित पन्ना बाघ राष्ट्रीय पार्क भी प्रभावित होगा। वह भी ऐसे माहौल में जबकि
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री श्री जयराम रमेष के अनुसार भारत मंे मात्र 1411 बाघ शेष
बचे हैंे। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अन्तर्ग विलुप्त होती प्रजातियो की
शरणस्थली का लगभग 50 वर्गकिमी0 का क्षेत्र विस्थापन और प्रवासी जीव जन्तुओं के डूबने
का खतरा झेल रहा है।
पर्यावरणयविद् डा0 वंदना षिवा ने इसे ’पारिस्थितिकीय आपदा’ की संज्ञा दी है। उन्होने
बार-बार इस बात को कहा है कि यह परियोजना गलत अवधारणा पर आधारित है। नदियां दो ही
तरह की होती हैं- जीवित या मृत। जहां पर नदी बेसिन का प्रबन्धन पारिस्थितिकीय रूप
में किया जाता है, नदियां वही जीवित रहती हैं। जबकि इस लिंक से अतिरिक्त पानी सूखी
नदी में हस्तान्तरित किया जायेगा। वरिष्ठ समाज शास्त्री डाॅ0 जे0पी0 नाग, समाजसेवी
स्वीकार करते हैं कि इस तरह की परियोजना का मूल्यांकन करने के लिये वैज्ञानिक आंकड़ों
का आभाव है। उन्होने उन देषों को भी चेतावनी दी, जिन्होने नदियों को जोड़ने का
प्रयोग किया है। और जो उसके परिणाम से सन्तुष्ट नहीं है। इनके अलावा एक अन्य
महत्वपूर्ण मानवीय पहलू यह है कि परियोजना से विषाल क्षेत्र डूबने के कारण जहां
हजारों लोगों के पुनर्वास की समस्या पैदा होगी। वहीं विलुप्त हो रहे जीव जन्तु (बाघ,
काले हिरन, जैव सम्पदा) आदि भी अवशेष रह जायेगी।
आज इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 7615 करोड़ रूपये जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार
है, जबकि 25 अगस्त 2005 को इस लिंक की अनुमानित लागत 4263 करोड़ रूपये मात्र थी,
तत्कालीन 3 वर्ष पहले इस योजना की लागत का अनुमान सिर्फ 1900 करोड़ रूपये था।
परियोजना के 8 साल में पूर्ण होने का दावा करने वाले राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण को
क्या यह अनुमान है कि सन् 2018 तक बढ़ती हुयी मंहगाई से केन-बेतवा समझौता कितने करोड़
रूपये की लागत का होगा ?
इस परियोजना के अन्तर्गत बुन्देलखण्ड में केन नदी पर छतरपुर और पन्ना जिलों की सीमा
पर 73 मीटर ऊंचा बांध बनाकर 231 किमी0 लम्बी नहर निकाली जाएगी जो केन व बेतवा को
जोड़ेगी। इस परियोजना पर खर्च होने वाली कुल अनुमानित राषि रू0 1988.74 करोड़ है जिसका
75 प्रतिषत किसानों से विभिन्न करों द्वारा पच्चीसों साल तक वसूला जाएगा। यही वजह
है कि सरकार ऐसी फसलों को प्रस्तावित कर रही है जिनका जल-कर ज्यादा है।
आशीष सागर / बांदा ( बुंदेलखंड )
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Comments
River linking to solve the water problems
River linking to solve the water problems of the natives of the region
but this zone has ancient remains of art and culture which negate the
Aryan theory propagated by the Britishers to suit their ends .
Britishers put the region to a neglect because of the brave
resistances faced , Govt of India too has neglected with some parts in
MP and some parts in UP and no integrated policy .
The region needs to be surveyed by the best of scientific technologies
available to fully ensure inundation of heritage and destruction of
key links to the civilization time line . May the other cultures have
vested interests in destruction of the truths that lies buried in the
region . Matter need to be debated and steps be taken through
parliamentary statutory process and not by the negligent executive .
sunilk aggarwal